Hanuman avatar
*Hanuman Avatar*
In general, it is believed that in connection with Sri Lanka, Sita came to Lanka while exploring and ending many monsters, including the son of Ravan. Then Meghnad, the son of Ravana, rescued Shri Hanuman from Brahmastra, and Ravana punished him to set fire in Shri Hanuman's tail. Then, with the same burning tail, Shri Hanuman stole the fire of Ravana in fire in Lanka. But behind the Sri Lankadah in the Puranas, the interesting story is attached on one side, due to which Shri Hanuman set fire to Lanka in Lanka.
Know that interesting story
Sri Hanuman Shiva is the Avatar. This interesting topic is related to Shiva. Once upon a wish of Mother Parvati, Shiva constructed a beautiful golden palace from Kuber. But Ravana was fascinated by the beauty of this palace. He went to Shiva with the help of Brahmin. He worshiped Shiva and Parvati for entering the palace and demanded that palace as Dakshina. Shiva donated the palace to the devotee.
After receiving the palace in Dan, Ravana thought in the mind that this palace was originally built on the sayings of Mata Parvati. Therefore, without their consent, it will not be auspicious. Then he sought Mother Parvati from Shivaji and even Bhole Bhandari Shiva accepted it too. When Ravana started to take Mother Parvati along with that golden palace. Then the unhappy and unhappy mother Parvati remembered Vishnu and they came and protected the mother.
When the mother Parvati became disheartened, Shiva accepted her mistake and promised to Mother Parvati that in Tretayuga I will embody the aspiration of Hanuman in the form of a monkey. At that time you become my tail. When I find this same golden castle in search of mother Sita, then you have to punish Ravana by putting fire to Lanka as a tail.
This is also considered as a reason for Shiva's Hanuman Avatar and Lankadhah.
*हनुमान अवतार *
सामान्यत: लंकादहन के संबंध में यही माना जाता है कि सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे और रावण के पुत्र सहित अनेक राक्षसों का अंत कर दिया। तब रावण के पुत्र मेघनाद ने श्री हनुमान को ब्रह्मास्त्र छोड़कर काबू किया और रावण ने श्री हनुमान की पूंछ में आग लगाने का दण्ड दिया। तब उसी जलती पूंछ से श्री हनुमान ने लंका में आग लगा रावण का दंभ चूर किया। किंतु पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक ओर रोचक कथा जुड़ी है, जिसके कारण श्री हनुमान ने पूंछ से लंका में आग लगाई।
जानते हैं वह रोचक कथा
श्री हनुमान शिव अवतार है। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया। किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया। वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान दे दिया।
दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया। इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोलेभंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा। तब अचंभित और दुखी माता पार्वती ने विष्णु को स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।
जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गई तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप हनुमान का अवतार लूंगा उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दण्डित करना।
यही प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है।"
In general, it is believed that in connection with Sri Lanka, Sita came to Lanka while exploring and ending many monsters, including the son of Ravan. Then Meghnad, the son of Ravana, rescued Shri Hanuman from Brahmastra, and Ravana punished him to set fire in Shri Hanuman's tail. Then, with the same burning tail, Shri Hanuman stole the fire of Ravana in fire in Lanka. But behind the Sri Lankadah in the Puranas, the interesting story is attached on one side, due to which Shri Hanuman set fire to Lanka in Lanka.
Know that interesting story
Sri Hanuman Shiva is the Avatar. This interesting topic is related to Shiva. Once upon a wish of Mother Parvati, Shiva constructed a beautiful golden palace from Kuber. But Ravana was fascinated by the beauty of this palace. He went to Shiva with the help of Brahmin. He worshiped Shiva and Parvati for entering the palace and demanded that palace as Dakshina. Shiva donated the palace to the devotee.
After receiving the palace in Dan, Ravana thought in the mind that this palace was originally built on the sayings of Mata Parvati. Therefore, without their consent, it will not be auspicious. Then he sought Mother Parvati from Shivaji and even Bhole Bhandari Shiva accepted it too. When Ravana started to take Mother Parvati along with that golden palace. Then the unhappy and unhappy mother Parvati remembered Vishnu and they came and protected the mother.
When the mother Parvati became disheartened, Shiva accepted her mistake and promised to Mother Parvati that in Tretayuga I will embody the aspiration of Hanuman in the form of a monkey. At that time you become my tail. When I find this same golden castle in search of mother Sita, then you have to punish Ravana by putting fire to Lanka as a tail.
This is also considered as a reason for Shiva's Hanuman Avatar and Lankadhah.
*हनुमान अवतार *
सामान्यत: लंकादहन के संबंध में यही माना जाता है कि सीता की खोज करते हुए लंका पहुंचे और रावण के पुत्र सहित अनेक राक्षसों का अंत कर दिया। तब रावण के पुत्र मेघनाद ने श्री हनुमान को ब्रह्मास्त्र छोड़कर काबू किया और रावण ने श्री हनुमान की पूंछ में आग लगाने का दण्ड दिया। तब उसी जलती पूंछ से श्री हनुमान ने लंका में आग लगा रावण का दंभ चूर किया। किंतु पुराणों में लंकादहन के पीछे भी एक ओर रोचक कथा जुड़ी है, जिसके कारण श्री हनुमान ने पूंछ से लंका में आग लगाई।
जानते हैं वह रोचक कथा
श्री हनुमान शिव अवतार है। शिव से ही जुड़ा है यह रोचक प्रसंग। एक बार माता पार्वती की इच्छा पर शिव ने कुबेर से सोने का सुंदर महल का निर्माण करवाया। किंतु रावण इस महल की सुंदरता पर मोहित हो गया। वह ब्राह्मण का वेश रखकर शिव के पास गया। उसने महल में प्रवेश के लिए शिव-पार्वती से पूजा कराकर दक्षिणा के रूप में वह महल ही मांग लिया। भक्त को पहचान शिव ने प्रसन्न होकर वह महल दान दे दिया।
दान में महल प्राप्त करने के बाद रावण के मन में विचार आया कि यह महल असल में माता पार्वती के कहने पर बनाया गया। इसलिए उनकी सहमति के बिना यह शुभ नहीं होगा। तब उसने शिवजी से माता पार्वती को भी मांग लिया और भोलेभंडारी शिव ने इसे भी स्वीकार कर लिया। जब रावण उस सोने के महल सहित मां पार्वती को ले जाना लगा। तब अचंभित और दुखी माता पार्वती ने विष्णु को स्मरण किया और उन्होंने आकर माता की रक्षा की।
जब माता पार्वती अप्रसन्न हो गई तो शिव ने अपनी गलती को मानते हुए मां पार्वती को वचन दिया कि त्रेतायुग में मैं वानर रूप हनुमान का अवतार लूंगा उस समय तुम मेरी पूंछ बन जाना। जब मैं माता सीता की खोज में इसी सोने के महल यानी लंका जाऊंगा तो तुम पूंछ के रूप में लंका को आग लगाकर रावण को दण्डित करना।
यही प्रसंग भी शिव के श्री हनुमान अवतार और लंकादहन का एक कारण माना जाता है।"
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