*Mallikarjun Jyotirlinga* *मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग*


  1. *Mallikarjun Jyotirlinga*

According to the legend, there was a dispute between the two sons of Lord Shankar, between each one who first married. When Shri Ganesh and Shri Kartikeya could not reach any solution in the dispute, then both of them went their own way and went to Lord Shankar and Mata Parvati.

 Seeing both of his sons fighting like this, the first parents tried to explain both. But when they did not succeed in explaining Ganesh and Karthikeyan in any way, they put a condition similar to the two. Both of them said that whichever of the two will be able to complete the full circle of the earth. The same will be married first of all.

 Both were very happy to hear this marriage arrangement. Karthikeyan's vehicle is a peacock, so he will soon ride on his vehicle and run to complete this task. But the problem came in front of Shri Ganesha, his vehicle is a mouse, and the mouse is a speed body. Upon thinking of the speed of his vehicle, Shri Ganesh understood that he could not win this vehicle in this competition.

 Sri Ganesh is. Clever intellect, only then he has got the position of God of wisdom, what he did, he took a middle path to win the competition and, following the scriptures, started doing the rounding of his parents.

 According to the scriptures, the parents are also like the earth. Parents understood the wisdom of their intelligence. And they also blessed Ganesh to fulfill the wish.

 According to the condition, the marriage of Shri Ganesha was done with both daughter and daughter.

 When Karthikeyan came back after completing the earth, he saw that Shri Ganesha was married. And they have lost the bet. With the wishes of Shri Ganesh, Kartikeyan became angry and went to Shri Shell Mountain. On Shree Sheth, Mother Parvati went to explain the son Karthikeyan.

 And Lord Shankar too reached here to request his son as Jyothirlinga. From that time Mallikarjuna Jyorthaling was established on the shaal mountain, and worshiping Shiva on this mountain became restored.

 Sri Mallikarjuna Temple Construction Story Apart from this mythology, a poetic story about Shri Mallikarjun Jyothilinga is also famous. According to legend, there was a time when there was a king near Shri Shell Mountain. Jitnanam was Chandragupta. That was a daughter of the king.

 The girl was staying in an ashram located on Shail Parvat, leaving the palaces for the purpose of fulfilling her wish. That girl had a beautiful cow. Every night when the daughter went to sleep. Then he took milk from his cow's milk.

 One night girl did not sleep and started wandering about to catch the thief. The night thief came, the girl followed her to catch the thief, but when she reached a distance, she got only Shivaling there. At the same time, the girl made the construction work of Shri Mallikarjuna Temple on that Shiva.

 A huge fair is organized every year on the occasion of Shivratri. The same place today is known as Mallika Arjun Jyotirling. The philosophy of this Jyothirling is fulfilled by the devotees' wishes. And that person enjoys all the pleasures of this person, in other people also goes to Shri Vishnu Dham



*मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग*
कथा के अनुसार भगवान शंकर के दोनों पुत्रों में आपस में इस बात पर विवाद उत्पन्न हो गया कि पहले किसका विवाह होगा. जब श्री गणेश और श्री कार्तिकेय जब विवाद में किसी हल पर नहीं पहुंच पायें तो दोनों अपना- अपना मत लेकर भगवान शंकर और माता पार्वती के पास गए.

 अपने दोनों पुत्रों को इस प्रकार लडता देख, पहले माता-पिता ने दोनों को समझाने की कोशिश की. परन्तु जब वे किसी भी प्रकार से गणेश और कार्तिकेयन को समझाने में सफल नहीं हुए, तो उन्होने दोनों के समान एक शर्त रखी. दोनों से कहा कि आप दोनों में से जो भी पृ्थ्वी का पूरा चक्कर सबसे पहले लगाने में सफल रहेगा. उसी का सबसे पहले विवाह कर दिया जायेगा.

 विवाह की यह शर्त सुनकर दोनों को बहुत प्रसन्नता हुई. कार्तिकेयन का वाहन क्योकि मयूर है, इसलिए वे तो शीघ्र ही अपने वाहन पर सवार होकर इस कार्य को पूरा करने के लिए चल दिए. परन्तु समस्या श्री गणेश के सामने आईं, उनका वाहन मूषक है., और मूषक मन्द गति जीव है. अपने वाहन की गति का विचार आते ही श्री गणेश समझ गये कि वे इस प्रतियोगिता में इस वाहन से नहीं जीत सकते.

 श्री गणेश है. चतुर बुद्धि, तभी तो उन्हें बुद्धि का देव स्थान प्राप्त है, बस उन्होने क्या किया, उन्होनें प्रतियोगिता जीतने का एक मध्य मार्ग निकाला और, शास्त्रों का अनुशरण करते हुए, अपने माता-पिता की प्रदक्षिणा करनी प्रारम्भ कर दी.

 शास्त्रों के अनुसार माता-पिता भी पृ्थ्वी के समान होते है. माता-पिता उनकी बुद्धि की चतुरता को समझ गये़. और उन्होने भी श्री गणेश को कामना पूरी होने का आशिर्वाद दे दिया.

 शर्त के अनुसार श्री गणेश का विवाह सिद्धि और रिद्धि दोनों कन्याओं से कर दिया गया.

 पृ्थ्वी की प्रदक्षिणा कर जब कार्तिकेयन वापस लौटे तो उन्होने देखा कि श्री गणेश का विवाह तो हो चुका है. और वे शर्त हार गये है. श्री गणेश की बुद्धिमानी से कार्तिकेयन नाराज होकर श्री शैल पर्वत पर चले गये़ श्री शैल पर माता पार्वती पुत्र कार्तिकेयन को समझाने के लिए गई.

 और भगवान शंकर भी यहां ज्योतिर्लिंग के रुप में अपनी पुत्र से आग्रह करने के लिए पहुंच गयें. उसी समय से श्री शैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग की स्थापना हुई, और इस पर्वत पर शिव का पूजन करना पुन्यकारी हो गया.

 श्री मल्लिकार्जुन मंदिर निर्माण कथा इस पौराणिक कथा के अलावा भी श्री मल्लिकार्जुन ज्योर्तिलिंग के संबन्ध में एक किवदंती भी प्रसिद्ध है. किवदंती के अनुसार एक समय की बात है, श्री शैल पर्वत के निकट एक राजा था. जिसकानाम चन्द्रगुप्त था. उस राजा की एक कन्या थी.

 वह कन्या अपनी किसी मनोकामना की पूर्ति हेतू महलों को छोडकर श्री शैलपर्वत पर स्थित एक आश्रम में रह रही थी. उस कन्या के पास एक सुन्दर गाय थी. प्रतिरात्री जब कन्या सो जाती थी. तो उसकी गाय का दूध को दुह कर ले जाता था.

 एक रात्रि कन्या सोई नहीं और जागकर चोर को पकडने का प्रयास करने लगी. रात्रि हुई चोर आया, कन्या चोर को पकडने के लिए उसके पीछे भागी परन्तु कुछ दूरी पर जाने पर उसेकेवल वहा शिवलिंग ही मिला. कन्या ने उसी समय उस शिवलिंग पर श्री मल्लिकार्जुन मंदिर का निर्माण कार्य कराया.

 प्रत्येक वर्ष यहां शिवरात्रि के अवसर पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है. वही स्थान आज श्री मल्लिका अर्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध है. इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भक्तों की इच्छा की पूर्ति होती है. और वह व्यक्ति इस लोक में सभी भोग भोगकर, अन्य लोक में भी श्री विष्णु धाम में जाता है.


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