Mahakaleshwar jyotirlinga

*Mahakaleshwar Jyotirlinga*
The ancient story of the establishment of Mahakaleshwar Jyotirlinga is famous. According to legend, the king of King Arshabsena used to reign once in the state of Avantika. King Bharashbasen was another devotee of Lord Shiva. He used to devote most of his daily routine in the devotion of Lord Shiva.

 Once the neighbor Raja attacked his state. King Brabasen succeeded in winning this war with his courage and happiness. On this, the neighboring king thought it appropriate to use any other route to win the war. For this he took the help of an Asura. That force was a boon to be invisible.

 The monster used his unique wisdom to attack the state of Avantika. In order to avoid these attacks, King Warsabhasen considered to be worthy of seeking Lord Shiva. Upon hearing the call of his devotee, Lord Shiva appeared there and he himself protected the people. King Vrishabhasena requested Lord Shiva to remain in the state of Anvvataa, which would prevent any other invasion in the future. By listening to the king's prayer, Lord appeared in the form of Jyothirlinga. And from then on, Mahakaleshwar is worshiped in Ujjain.







*महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग*
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबन्धित के प्राचीन कथा प्रसिद्ध है. कथा के अनुसार एक बार अवंतिका नाम के राज्य में राजा वृ्षभसेन नाम के राजा राज्य करते थे. राजा वृ्षभसेन भगवान शिव के अन्यय भक्त थे. अपनी दैनिक दिनचर्या का अधिकतर भाग वे भगवान शिव की भक्ति में लगाते थे.

 एक बार पडौसी राजा ने उनके राज्य पर हमला कर दिया. राजा वृ्षभसेन अपने साहस और पुरुषार्थ से इस युद्ध को जीतने में सफल रहा. इस पर पडौसी राजा ने युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अन्य किसी मार्ग का उपयोग करना उचित समझा. इसके लिए उसने एक असुर की सहायता ली. उस असुर को अदृश्य होने का वरदान प्राप्त था.

 राक्षस ने अपनी अनोखी विद्या का प्रयोग करते हुए अवंतिका राज्य पर अनेक हमले की. इन हमलों से बचने के लिए राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव की शरण लेनी उपयुक्त समझी. अपने भक्त की पुकार सुनकर भगवान शिव वहां प्रकट हुए और उन्होनें स्वयं ही प्रजा की रक्षा की. इस पर राजा वृ्षभसेन ने भगवान शिव से अंवतिका राज्य में ही रहने का आग्रह किया, जिससे भविष्य में अन्य किसी आक्रमण से बचा जा सके. राजा की प्रार्थना सुनकर भगवान वहां ज्योतिर्लिंग के रुप में प्रकट हुए. और उसी समय से उज्जैन में महाकालेश्वर की पूजा की जाती है.


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